ब्रीफ टेल्स– संघर्ष
★★★ नई नवेली दुल्हन को देखने के लिए आस पास से महिलाएं आई हुई थी। लगभग तीस साल की एक युवती उसके पास आकर बैठ गई। उसने उसका मुंह देखा और फिर मुंह दिखाई का नेक देने के बाद ठीक उसी के बराबर में बैठ आकर बैठ गई और अपने दुखों को वक्त करते हुए उसे समझाते हुए बोली। "शादी से पहले ही जिंदगी अच्छी होती है, जितना चाहो उतना मजा करो। शादी के बाद तो बस परिवार और बच्चों में फंस कर रह जाते है।" नई नवेली दुल्हन उसकी बात पर मुस्कुरा दी। उसके दिमाग में बचपन से लेकर शादी तक की तमाम घटनाएं चलचित्र की भांति घूमने लगे। उसका बाप कैसे दिन रात नशे में धूत रहता था और अपनी पत्नी के साथ साथ अपनी मासूम बेटी को भी मारता पीटता था। बाद में उसकी मां अपने पति का गुस्सा उस पर निकालती थी। इन सबके बावजूद भी उसकी मां ने एक बेटे को जन्म दिया और वह भी उसके बाप जैसा निकला। उसकी शादी हो जाए इसलिए घर वालों ने गांव के ही स्कूल में उसे बारहवी तक पढ़ा लिखा दिया। खाने को जब लाने पड़े तो उसे घर चलाने के लिए नौकरी करनी पड़ी। पर बीच में ही उसकी मां की तबीयत खराब हो गई और आखिर में टीबी के चलते वह चल बसी। भाई और बाप ने उसका जीना हराम कर दिया। वो तो उसकी खुशकिस्मती थी कि उसकी सास को वह पहली ही नजर में पसंद आ गई थी। उन्हें एक सुंदर सुशील और समझदार लड़की चाहिए थी जो घर परिवार और काम दोनों को संभाल सके। उसकी बिरादरी की लड़कियों बस दिखावे में जीती थी। उन्होंने ही उसे उस नर्क से बाहर निकाला। उसके बाप और भाई को उसकी शादी में उसकी नौकरी से ज्यादा पैसे मिल रहे थे तो दोनों ने उसकी शादी करा दी। अब वह सुकून से अपनी जिंदगी जी रही थी। जहां उसे प्यार, इज्जत और अपनापन सब मिलता था। साथ ही साथ उसकी सास ने उसे आगे पढ़ाने लिखाने की भी मंजूरी दे दी। “हर किसी की जिंदगी और उनके संघर्ष अलग होते है। ना जाने लोगों को ये बात समझ क्यों नही आती।” उसने धीरे से अपनी बात कही। वह जानती थी हर किसी को समझाया नही जा सकता और नाहि वह किसी की सोच को बदल सकती थी। ★★★